Monday 24 October 2016

नशा-ए-मोहब्बत

"नशा-ए-मोहब्बत, मुझपर बेअसर सी रही। 
तुझसे बिछड़कर.. ज़िन्दगी बेहतर सी रही।।"

Mahi Kumar 

हद्द -ए -सफर

'हद्द -ए -सफर'

हद्द -ए -सफर, कभी रास नहीं आती,
मैं चलता ही रहता हूँ, मगर मंज़िले पास नहीं आती।
मैं गुजरता हूँ हर रोज़, एक नयी गली एक नए शहर से, -2
ठहराता हूँ चंद लम्हात, मुझे घर बसाने की बात नहीं आती।

हद्द -ए -सफर कभी रास नहीं आती,
मैं चलता ही रहता हूँ, मगर मंज़िले पास नहीं आती।

शाम के सूनेपन से लेकर, रात की तन्हाई तक,
मैं ढूंढता हूँ बस तुझे ही, हकीकत से परछाई तक।
के देख एक मैं हूँ, जो तनहा चल नहीं पाता, -2
और एक तू है, जो कभी साथ नहीं आती।

हद्द -ए -सफर कभी रास नहीं आती,
मैं चलता ही रहता हूँ, मगर मंज़िले पास नहीं आती।।

Mahi Kumar  


खूबसूरत

"खुशमिजाज़ होना, खूबसूरत होने से कई गुना बेहतर है।"

Mahi Kumar Gurjar

मौज़-ए-हवस

तहनशीं थी, न जाने कब से.. मौज़-ए-हवस मुझमें।
देखा जो, दामन-ए-पुरशिकन तेरा.. मचल कर लबों पर आ बैठी है।।

तहनशीं - तल में बैठी हुई, मौज़-ए-हवस - हवस की लहर,
दामन-ए-पुरशिकन - सिलवटें पड़ा हुआ आँचल

Mahi Kumar  

बिन पानी आबशार

बिन पानी, जैसे आबशार हो गया। 
गुनगुनाना भी चाहा, तो बेआवाज हो गया।। 
उसे आब कहकर, पीता रहा सारा जमाना। 
जो मैं छू बैठा, तो तेज़ाब हो गया।।

आबशार - झरना, आब - पानी 
Mahi Kumar  


हौसला

"मैं तो गिरकर फिर उठूँगा।
तु फिर गिराने का हौसला रखना।" 

Mahi Kumar 




Mahi Kumar