मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी!
मैं बादलों से डरती हूँ, मगर बरसात पर मैं मरती हूँ।
जब हवाओं के संग उड़ती हूँ, तब भी जमीं से जुड़ के चलती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी.. मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
कभी सागर की चट्टान हूँ, कभी रेत बन.. किनारों से जा मिलती हूँ।
मैं इंद्रधनुष की बेला हूँ, मैं हर घड़ी रंग बदलती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी.. मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
देखती हूँ दूर तक, नज़र को आस-पास रखती हूँ।
कल रूठ गयी थी जिस बात पर, आज पसंद उसी को करती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी.. मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
मैं बिन कहे कुछ कहती हूँ, मैं बिन सुने सब समझती हूँ।
बात है बस इतनी सी.. जो हर बार मैं तुमसे कहती हूँ।
हाँ, मैं हूँ थोड़ी अज़ीब सी.. मगर प्यार तुमसे करती हूँ।
Mahi Kumar