Saturday 8 July 2017

वो किधर गया

जिस पर गुरुर था, वो ही गुजर गया।

जो आईने में नहीं है, वो किधर गया।

Mahi Kumar


बटंवारा-ए-आशिक़ी

''बटंवारा-ए-आशिक़ी''

बंटवारे की इस  बहस को, थोड़ा आराम दे दे। 

चल... तू जमीं ले ले, मुझे आसमान दे दे। 

अंगड़ाइयां तेरी हुई, करवटें मेरी है। 

बरसने दे मेरी आँखों को, तू बरसात ले ले। 

बंटवारे की इस बहस को, थोड़ा आराम दे दे। 

चल... तू जमीं ले ले, मुझे आसमान दे दे। 

ये दरिया तो बेवफा है, साथ नहीं जायेगा।

मुझे जाना है... तू मुझे चाँद दे दे।  

बंटवारे की इस बहस को, थोड़ा आराम दे दे। 

चल... तू जमीं ले ले, मुझे आसमान दे दे। 

Mahi Kumar 

'उसका चेहरा'


Friday 17 February 2017

''Tanhai''

''Tanhai''
नींद, सपने, सिलवटें... सब खो गयी। 
बिस्तर तन्हाई में रो पड़ा, चादरें सिसक कर सो गयी

#Mahikumar